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प्रेम के रंग अनोखे

प्रेम के रंग अनोखे :
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लाल रंग है प्यार का, कहीं काला भी होय,
प्यार नहीं सिर्फ़ चाहतें पाप का भागी होय ।

आकर्षण कहते उसे ,सदा स्वार्थ मे लिप्त,
पल भर का है प्यार यह जीवन इसका संक्षिप्त।

दैहिक प्यार तो नीचता, न करना कोई ग़ुमान
सच्चे प्यार मे देह का नहीं कोई सम्मान ।

प्यार का मतलब त्याग है,जीवन का कर दे त्याग,
एक दूजे के कारणे,तू सब कुछ कर दे त्याग।

कृष्ण -सुदामा मिलन का चर्चा अनुकरणीय,
राधाकृष्ण के प्रेम का वर्णन अति रमणीय ।

आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़ 
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5 Comments

Nice lines

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Suryansh

10-Jul-2023 07:23 AM

सुन्दर अति सुन्दर

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Varsha_Upadhyay

09-Jul-2023 10:59 PM

Nice 👍🏼

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